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राफेल पर ‘सुप्रीम’ फैसले से मोदी सरकार को राहत, SC ने खारिज की पुनर्विचार याचिका

हाईलाइट

  • राफेल डील मामले में केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत
  • सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पुनर्विचार याचिका

देश की सर्वोच्च अदालत ने राफेल विमान सौदे पर दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच के इस फैसले के बाद केन्द्र सरकार को बड़ी राहत मिली है। राफेल विमान डील मामले में शीर्ष अदालत के 2018 के आदेश पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण समेत अन्य लोगों की ओर से पुनर्विचार के लिए याचिका दाखिल की गई थी।इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने फैसला सुनाया है।

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SC का आदेश, हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश का अधिकार

NEWS HIGHLIGHTS

  •  सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
  •  10 से 50 साल की महिलाएं कर सकेंगी प्रवेश
  •  केरल हाई कोर्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को सही माना था।

केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला अयप्पा मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सही ठहराया है। अब तक मंदिर में 10 से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुरुष प्रधानता दर्शाने वाले नियम में बदलाव किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हमारी संस्कृति में महिलाओं का स्थान आदरणीय है। दो तरफा नजरिए से महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचती है। इस मामले में 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने 1 अगस्त को सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गौरतलब है कि सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। मंदिर अथॉरिटी का कहना है कि रजस्वला (पीरियड) की अवस्था में पवित्रता नहीं रख सकती हैं, इसलिए इस उम्र की महिलाओं का प्रवेश मंदिर में वर्जित है। मंदिर के इस नियम के खिलाफ साल 2015 में आवाज उठी थी। इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी। इस याचिका पर केरल हाई कोर्ट ने सुनवाई कर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को सही माना था। इसके बाद केरल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने इस मामले पर सुनवाई शुरू की थी और बाद में इसे संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर दिया था। CJI की अध्यक्षता में संवैधानिक बेंच ने इस याचिका समेत अन्य याचिकाओं पर 17 जुलाई से 1 अगस्त तक लगातार सुनवाई की थी। इन सुनवाईयों के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा मंदिर में विशेष आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर बैन को लेकर सख्त टिप्पणी कर चुके हैं। CJI कह चुके हैं कि मंदिर एक सार्वजनिक संपत्ति है, यह किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं है। इसलिए अगर इसमें पुरुषों को जाने की अनुमति है तो महिलाओं को भी यहां प्रवेश दिया जाना चाहिए।

बता दें कि केरल की राज्य सरकार ने भी इस मामले में पहले मंदिर अथॉरिटी का समर्थन किया था, हालांकि इस साल राज्य सरकार ने अपना पुराना रूख बदलकर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया था। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI ने राज्य सरकार को इस मामले पर बार-बार अपना रूख बदलने के लिए फटकार भी लगाई थी।

Source: https://www.bhaskarhindi.com/news/supreme-court-verdict-on-entry-of-women-in-sabarimala-temple-49337